एक शरारत होने को है - Ek Shararat Hone Ko Hai (Kavita Krishnamurthy, Kumar Sanu, Duplicate)

Movie/Album: डुप्लीकेट (1998)
Music By: अनु मलिक
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: कविता कृष्णामूर्ति, कुमार सानू

एक शरारत होने को है
एक क़यामत होने को है
होश हमारे खोने को है
हमको मोहब्बत होने को है
ल लाइ ल लाइ ला लाइ...
एक शरारत होने को है...

चलते हैं गाते-गाते, सोचा न जाते-जाते
जायेंगे दोनों हम कहाँ
आँखों में हल्के-हल्के, सपने हैं झलके कल के
सब इश्क़ के हैं ये निशाँ
हो, तुम अब ये मानो, या ना मानो मेरी जाँ
एक शरारत होने को है...

तुम तो हो भोले-भोले, अब तक जो बोले-बोले
आगे ना कहना दास्ताँ
दुनिया में कैसे-कैसे, हैं लोग ऐसे-वैसे
दुश्मन हैं दिल के सब यहाँ
हो, तुम अब ये जानो, या ना जानो मेरी जाँ
एक शरारत होने को है...

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