बच्चे मन के सच्चे - Bachche Man Ke Sachche (Lata Mangeshkar, Do Kaliyan)

Movie/Album: दो कलियाँ (1968)
Music By: रवि
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: लता मंगेशकर

बच्चे मन के सच्चे
सारे जग की आँख के तारे
ये वो नन्हें फूल हैं जो
भगवान को लगते प्यारे
बच्चे मन के सच्चे...

खुद रूठे, खुद मन जायें
फिर हमजोली बन जायें
झगड़ा जिसके साथ करे
अगले ही पल फिर बात करे
इनको किसी से बैर नहीं
इनके लिए कोई ग़ैर नहीं
इनका भोलापन मिलता है
सबको बाँह पसारे
बच्चे मन के सच्चे...

इन्साँ जब तक बच्चा है
तब तक समझो सच्चा है
ज्यूँ-ज्यूँ उसकी उमर बढ़े
मन पर झूठ का मैल चढ़े
क्रोध बढ़े, नफ़रत घेरे
लालच की आदत घेरे
बचपन इन पापों से हटकर
अपनी उमर गुज़ारे
बच्चे मन के सच्चे...

तन कोमल, मन सुन्दर है
बच्चे बड़ों से बेहतर हैं
इनमें छूत और छात नहीं
झूठी ज़ात और पात नहीं
भाषा की तकरार नहीं
मज़हब की दीवार नहीं
इनकी नज़रों में एक है
मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे
बच्चे मन के सच्चे...

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