नव कल्पना नव रूप से - Nav Kalpana Nav Roop Se (Md.Rafi, Mrig Trishna)

Movie/Album: मृग तृष्णा (1975)
Music By: शम्भू सेन
Lyrics By: शम्भू सेन
Performed By: मो.रफ़ी

नव कल्पना नव रूप से
रचना रची जब नार की
सत्यम शिवम सुन्दरम से
शोभा बढ़ी संसार की

कला की दासी कामिनी
सोलह कला परिपूर्ण है
विश्व में विष कन्या के
ये नाम से प्रसिद्ध है
हाव भाव अनुभाव से
सेवा करे भगवान की
नव कल्पना नव रूप...

चँद्रमा सो मुख सलोनो
श्याम वरणा केश है
नैनों से मृगनयनी है
वाणी मधुर उच्चारती
नृत्य गान त्रिकधान पूजा
इनका धरम है आरती
नव कल्पना नव रूप...

नी रे गा, गा रे गा नी रे पा मा गा
सां नी पा मा गा रे, मा गा रे सा
देव लोक की देवदासी
सुन्दर रूप लुभावनी
पैंजन कंचुकी करधनी
सोलह श्रृंगार सुहावनी
शंख डमरू झाँझ झालर
नूपुर ध्वनि मनमोहनी
नव कल्पना नव रूप...

4 comments :

  1. What a wonderful song , excellent lyrics sung by a great singer MOHD. RAFI

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  2. Mohd. Rafi ji had put soul in the singing and made us feel and enjoy every words of the song, we are proud of Mohd. Rafi ji and hats off to Rafi ji.

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